अपनी मर्जि से, कहा अपने सफर के हम है
रुख हवाओंका जिधर का है, उधर के हम है
पहले हर जीएत भी अपनी
मगर अब लगता है
अपने ही घर में
किसी दूसरे घरके हम है
रुख हवाओंका जिधर का है, उधर के हम है
अपनी मर्जिसे, कहा अपने सफर के हम है
वक्त के साथ मिटटी का सफर सदियोंसे
वक्त के साथ है मिटटी का सफर सदियोंसे
किसको मालुम, कहांके है, किधर के हम है
रुख हवाओंका जिधर का है, उधर के हम है
अपनी मर्जिसे, कहा अपने सफर के हम है
चलते रहते है, के चला है मुसाफिर का अतीत
चलते रहते है, के चला है मुसाफिर का नसीब
सोचते रहते है किस रह गुजर के हम है
सोचते रहते है किस रह गुजर के हम है
रुख हवओंका जिधर का है, उधर के हम है
अपनी मर्जिसे, कहा अपने सफर के हम है
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apni marjise, kaha apne safar ke hum hai
rukh hawaonka jidhar ka hai, udhar ke hum hai
pehele hur jeeet bhi apni
magar ab lagata hai
apne hi ghar mein
kisi dusare gharke hum hai
rukh hawaonka jidhar ka hai, udhar ke hum hai
apni marjise, kaha apne safar ke hum hai
waqt ke sath mitti ka safar sadiyonse
waqt ke sath hai mitti ka safar sadiyonse
kisko maalum, kahake hai, kidhar ke hum hai
rukh hawaonka jidhar ka hai, udhar ke hum hai
apni marjise, kaha apne safar ke hum hai
chalte rehate hai, ke chala hai musafir ka atit
chalte rehate hai, ke chala hai musafir ka nasib
sochate rehate hai kis rah gujar ke hum hai
sochate rehate hai kis rah gujar ke hum hai
rukh hawaonka jidhar ka hai, udhar ke hum hai
apni marjise, kaha apne safar ke hum hai
1 comment:
आपने समस्त पोस्टों की सूची बाजू पट्टी में लगाई है , उससे ब्लॉग पृष्ठ अनावश्यक रूप से लंबा हो गया है. कृपया ड्राप डाउन या क्लिक करने योग्य सूची दें (ब्लॉगर डिफ़ॉल्ट) तो उत्तम.
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